Sunday, December 13, 2009

वास्तु ने बनाया ताज को सरताज


वास्तु ने बनाया ताज को सरताज
दुनिया में कोई भी इमारत प्रसिद्ध है तो यह तय है कि उसकी बनावट वास्तु के अनुकूल होगी। ताज महल कि विशव प्रसिधि का कारण इसकी सुंदर बनावट तो है ही परन्तु इस में चार चाँद लगा रहा है इसका वास्तु के अनुकूल भूखंड पर हुआ वास्तु अनुकूल निर्माण कार्य। मुग़ल बादशाह ने अपनी प्यारी बेगम मुमताज़ महल की याद में यह इमारत बनवाई थी। इसे बनाने में भारतीय, फारसी व इस्लामी शिल्प कला का प्रयोग हुआ है जो मुग़ल वास्तुकला का सुंदर नमूना है।
दिशाओं के समांतर बनाई गयी अष्टभुजाओं की संरचना वाला भवन ताज महल वास्तु शास्त्र का एक अतिविशिस्ट उदहारण है। इसी कारण ताज बन गया है सात अजूबों का सरताज। आईये देखते हैं किताज किस तरह वास्तुशास्त्र और फ़ेन्ग्शूई के नियमों के अनुरूप है।

वस्तुशात्र कि दृष्टि से
* ताज महल को दक्षिण में बने चार बगीचों के अन्तिम छोर पर यमुना नदी के किनारे बनवाया गया है। इसकी पिछली दीवार यमुना नदी के तट पर जाकर ठहरती है। इसकी उत्तर दिशा में यमुना नदी पूर्वाभिमुख हो कर बह रही है। वास्तु सिद्धांत के अनुसार यह भौगोलिक स्थिति ताज को प्रसिद्धी दिलवाने में सहायक है। जब किसी इमारत की उत्तर दिशा में किसी भी प्रकार की निचाई हो और पानी का स्रोत हो तो वह स्थान अवश्य प्रसिद्धी पा लेता है।
* ताज १८६ गुना १८६ फीट के चौकोर भूखंड पर बना है। जिसके चारो कोनो पर १६२.५ फीट ऊंची मीनारें बनी हुई हैं और मध्य में २१३ फीट ऊंचा विशाल गुम्बद बना हुआ है। ताज परिसर में बने इस भूखंड के पास पूर्व दिशा का थोड़ा भाग ४ से ५ फीट नीचे हो कर वास्तु के अनुकूल है और ताज को स्थायीतव प्रदान करता है।
* ताज महल कि बनावट सुडौल और संतुलित है। इस में दो तल हैं। तहखाने में मुमताज महल और शाहजहाँ कि कब्र है। और इसकी प्रतिकृति को ऊपर वाले हाल में लगाया गया है। ताज महल परिसर के मध्य उत्तर दिशा में बना यह तहखाना इसकी प्रसिद्धी बढ़ाने में और अधिक सहायक है।
* दक्षिण दिशा स्थित ताज का प्रवेश द्वार वास्तु के अनुकूल स्थान पर है। जो सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

फेंग शूई कि दृष्टि से
* फेंगशूई का एक नियम है कि यदि पहाड़ के मध्य कूई भवन बना हो , जिसके पीछे पहाड़ कि ऊचाई हो, आगे के तरफ पहाड़ कि ढलान हो , और ढलान के बाद पानी कि झरना तालाब आदि हो तो वह भवन मशहूरी पा लेता है। फेंग शूई के इस नियम में दिशा का कोई महत्त्व नहीं है। ताज के उत्तर में पानी है, ऊंचाई पर चबूतरा है। और उसके ऊपर मकबरा बना हुआ है।
* ताज के मकबरे की आकृति अष्टकोणीय है। फेंग शूई में अष्टकोणीय आकृति को अति शुभ माना गया है।
* फेंग शूई में संतुलित बनावट को काफ़ी महत्व दिया गया है और ताज कि बनावट पूर्णत: संतुलित है। इसके सामने दक्षिण दिशा में बने फव्वारे और बगीचे इसकी शुभता को और अधिक बढ़ाते हैं।
वास्तु के इन्हीं नियमों की अनुकूलता के कारण ताज भारत ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में मशहूर है। इसी कारण इसे सात अजूबों में स्थान मिला है....


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