
tarot cards का इतिहास
tarot का उद्गम सही रूप में तो किसी को भी पता नहीं है यद्यपि आम तौर पर यही माना जाता है के इनका परचार परसार जिप्सिओं द्वारा ही हुआ था। सत्य तो यह है के उनके द्वारा ही यह यूरोप में पहुंचे जहाँ इन पर काफी कार्य हुआ। १३ वीं शताब्दी में पहुँचने वाले इन कार्ड्स पर ३-४ शताब्दी काफी अध्यन मनन चालू रहा और इनका रूप परिवर्तित होता रहा। कहा जाता है के इनके मौजूदा रूप पर मुस्लिम जगत के " मक्कुल कार्ड्स " का काफी परभाव पड़ा था। मक्कुल कार्ड्स में भी सूट , कप्स , सिक्के, तलवारें तथा पोलो स्टिक्स के पर्तीक होते थे।
इनका शुरूआती पर्योग इटली के परचलित एक प्राचीन खेल तारोची के लिए होता था। यह खेल आधुनिक ताश के खेल से मिलता जुलता ही खेल है। यह खेल दुनिया के कुछ हिस्सों में अभी भी खेला जाता है। यदयपि इसके कार्ड्स की मौजूदा संख्या व बनावट tarot cards की मौजूदा संख्या व बनावट से काफी भिन्न है.एक समय में इटली के रजवाड़ों में तरोची नमक खेल काफी लोक प्रिया था। आज के tarot cards का रूप उनसे कुछ कुछ मिलता जुलता है। इस प्रकार कई कार्ड्स का विकास हुआ। लेकिन "दा फूल" और ताश के जोकर में बिल्कुल भी साम्य नहीं है। जबकि १५ वी शताब्दी के आस पास त्रोत कार्ड्स का पर्योग शुरू हो गया था। जोकर नामक कार्ड का पर्योग तो १९वी सदी में "यूकर" नामक स्थान से हुआ जहाँ पर त्रोत कार्ड्स का बिल्कुल भी परचालन नहीं था। इन कार्ड्स के इर्द गिर्द सबसे पहले रहस्यता का ताना बना सब से पहले अन्तोयानी कोर्ट दी गेवेलियन ने बुना था। १७८१ में पेरिस के एक राज मिस्त्री ने इस का उल्लेख किया था। उसने इन से सम्बंधित कई कहानिया पर्चाल्लित की थी। ऐसे कहा जाता है के मेजर अर्काना के कार्ड्स तो क्ब्लाह से लिए गए हैं...!
इन कार्ड्स को सर्व प्रथम लोक प्रिया बनाया था "ऐतीला" ने जो के गेबेलियन का समकालीन था। उसने एक निबंध लिखा था। इसकी लोकप्रियता में एलिफास लेवी , ओसवाल्ड बर्थ , पापूस का भी काफी हाथ था। फ्रांस से इन कार्ड्स की लोक प्रियता इंग्लैंड पहुँची। कुछ विद्वानों का मानना था के इन कार्ड्स द्वारा भविष्य कथन करना इनके स्तर को नीचा करना है। आदर्श रूप में इन लोगों के अनुसार कई शास्वत अनुभव में इन कार्ड्स का पर्योग किया जाना चाहिए । परन्तु भविष्य कथन में इन कार्ड्स की उपयोगिता आज भी लोक प्रिया है और निरंतर बढ़ रही है.......
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