Friday, November 27, 2009

साढ़ेसाती

साढ़ेसाती

साढ़ेसाती आत्म घाती, भोगे हर इन्सान !
समय पड़े गहन कन्दरा , छुपे रहे भगवान् !!

साढ़ेसाती जब घेरेगी , कहाँ बचेगी साख !
रावण की सुवर्ण लंका हो गयी जल कर राख !!

श्री राम को राज्य बदले , दिया इसने बनवास !
खाने को कोदों मिली, और विछौना घास !!

साढ़ेसाती ने बना दिया ,रावण को भी ढोर !
शास्त्रों का ज्ञानी था, बन गया ढोंगी चोर !!

हरिश्चंदर से सज्जन ने , दर-दर छानी खाक !
चार टक्के के मोल बिका,उडी मरघट में राख !!

विक्रम जैसा योधा भी ,पिंगल और लाचार !
तेली घर कोहलू पीसे ,साढ़ेसाती की मार !!

बहुत मेहनत करवाए , बहुत करे परेशान !
साढ़ेसाती जो काट ले , उसे तू कुंदन जान !!

ठगी चोरी होती है ,साढ़ेसाती के बीच !
अच्छा खासा सज्जन भी, करदे कारज नीच !!

वातरोग घेरे इसमे , हो जाए जोड़ों में दर्द !
खून पानी बन जाए, चेहरा हो जाए ज़र्द !!

मेष, कर्क सिंह राशी को , करती बहुत ख़राब
बरिश्चक राशी वाले को , पी जाती है शराब !!

सदा नहीं पतझड़ "जिंदल" सदा रहे न बहार
सदा नही दुःख की आंधी सदा नहीं उपहार !!

जन्म की स्थिति पर निर्भर, साढ़ेसाती की मार !
जन्म समय शनि शुभ पड़े , कर दे बेडा पार !!

कारक हो यदि कुंडली में , करता कम नुकसान !
त्रि छड गयारह भाव में भी, राह करे आसान !!

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