आप का भाग्यशाली रत्न-
प्राय लोगों को देखता हूँ वह दायें- बाएं हाथों की ऊंगलियों में रतन जडित अन्गुन्ठइयां पहने होते हैं। मेरी समझ में उनकी नादानी उनकी मजबूरी से जुड़ी होती है। कष्ट में पड़ा व्यक्ति अथवा स्वयम की महत्वकांक्षा पूरी करने के लिए बह उन उन रत्नों को धारण करता है जो जो भी उसे समय-समय पर ज्योतिषी या तांत्रिक बताते हैं। कुछ ज्योतिषी तो रतन विक्रेता भी हैं। अतः वे एक व्यक्ति को एक साथ कई कई रत्न बता देते हैं! ऐसा करके वह जातक का नहीं अपितु अपना ही भला करते हैं।
सूर्य और रहू केतु का,
ब्रहस्पति और शनि , रहू, शुक्र का
चन्द्र और रहू-केतु का
शुक्र और मंगल -ब्रहस्पति और शुक्र से वैर है।
जब-जब भी विरोधी गुणों वाले रत्न पहने जाते हैं तो वह जातक को या तो नुकसान देते हैं या फ़िर वोह तटस्थ हो जाते हैं। क्योंके एक दूसरे की रश्मियों के परभाव को काट ते रहते हैं ।
सब से पहले ये बात समझ लेनी चाहिए के मुख्या रत्न महत्वपूरण है। जैसा नम वैसा ही परभाव होता है।
दूसरी बात यह के यदि एक या दो रत्न धारण करने से लाभ होता है तो अधिक रत्न क्यों पहने?
तीसरी बात यह है के भागयावर्धक ग्रह का ही रत्न धारण करना चाहिए। उस ग्रह से सम्बंधित रत्न धारण करना उचित नहीं है जो आशुभ परभाव देने वाला है।
चौथी बात यह के रत्न आप अपनी शुभता के लिए पहने। यह न हो के एक और तो शुभता मिल रही हो और दूसरी और माता पिता पत्नी पुत्र को कष्ट हो। ऐसा रत्न नहीं पहनना चाहिए।
पांचवी बात रत्न जितना उत्तम होगा उतना अधिक भाग्य वर्धक होगा। किंतु हर व्यक्ति उतम श्रेणी का रत्न नहीं धारण कर सकता इस लिए माध्यम श्रेणी का रत्न भी धारण किया जा सकता है।
वास्तव में रत्नों वह शक्ति होती है, जो ग्रहों की रश्मियों में vibration और गरूतावाकर्षण एवं रंग खींच कर आपके शरीर मन आत्मा हृदय को परभावित करते हैं। अतः उन ही रत्नों को धारण करना चाहिए जो आप की कुंडली में शुभ एवं भागय्वर्धक हैं। अथवा जिस शुभ ग्रह की महादाश चल रही है।
एक बात अच्छे अच्छे ज्योतिषी भी भूल जाते हैं के अशुभ ग्रह की पावर कम करने के लिए उस ग्रह का रत्न नहीं पहनना चाहिए। यदि कोई ग्रह ख़राब है तो उसकी ख़राब शक्ति को कम करने के लिए उसका रत्न पहनना उचित है तो शुभ ग्रह का रत्न पहनना उचित नहीं है। यदि अच्छे ग्रह के लिए रत्न पहनना उचित है तो ख़राब ग्रह के लिए रत्न पहनना उचित नहीं है।
ऐसा कैसे हो सकता है के रत्न पहनने से ख़राब ग्रह की अशुभता घटेगी !!!!
उदाहरण के लिए ---यदि आप मधुमेह के रोगी हैं। तो यह सर्व विदित है के इस रोग में शर्करा /चीनी/मीठा वर्जित है अशुभ है। अगर हम मधु मह के रोगी को मीठा,चीनी और शर्करा देंगे तो उसका अहित ही होगा न के शुभातव ...
पर्त्येक लगन के लिए कम से कम तीन ग्रह तो सहायक होते ही हैं। उनमे से किसी एक या दो का चुनाव कुंडली अध्यन करके चयन कर लेना चाहिए....
इति शुभम .....
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