ढाई वर्ष तीन चरण का, साढ़ेसाती काल
विपदा कष्ट कलेश का, विछ जाता है जाल !
लग्न बाहरवें या दूजे, साढ़ेसाती का काल
हरिश्चंदर सा राजा, रावण सा चंडाल
किसी राशि के बाहरवें, शनि अगर आ जाए
साढ़ेसाती का प्रथम चरण, सर पर शोर मचाये
व्यय बहुत होता है इसमे, हानि और नुकसान
कारावास का दंड लगे, या भटके इन्सान
राशि में परवेश हुआ, ढाई वर्ष के बाद
रीढ़ की हड्डी टूटेगीजातक होगा बर्बाद
जातक की छाती पे यह, मंद मंद मुस्काए
न मरने न जीने देवे , जातक चैन न पाए
चरण तीसरा दूजे घर , शनि का हो परवेश
अन्तिम ढईया अब हुआ , ढाई वर्ष हैं शेष
पैरों पर आकर बैठा , आफत का यमदूत
वर्तमान की सुध रखना , बीत गया है भूत
अग्नि परीक्षा अब होगी , मत हो जाना फेल
शनी देव खेलेंगे इसमे, तरह तरह के खेल
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